तेरी साँसें मुझ तक आते बादल हो जाएँ
तेरी साँसें मुझ तक आते बादल हो जाएँ मेरे जिस्म के सारे इलाक़े जल थल हो जाएँ होंट-नदी सैलाब का मुझ पे दरवाज़ा खोले हम को मयस्सर ऐसे भी इक दो पल हो जाएँ दुश्मन धुँद है कब से मेरी आँखों के दरपय हिज्र की लम्बी काली रातें काजल हो जाएँ उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम हम भी अब ये सोच रहे हैं पागल हो जाएँ

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