वो कौन था
वो कौन था वो कौन था तिलिस्म-ए-शहर-ए-आरज़ू जो तोड़ कर चला गया हर एक तार रूह का झिंझोड़ कर चला गया मुझे ख़ला के बाज़ुओं में छोड़ कर चला गया सितम-शिआर आसमाँ तो था नहीं उदासियों का राज़-दाँ तो था नहीं वो मेरा जिस्म-ए-ना-तावाँ तो था नहीं तो कौन था वो कौन था?

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