निकला है चाँद शब की पज़ीराई के लिए
निकला है चाँद शब की पज़ीराई के लिए ये उज़्र कम है अंजुमन-आराई के लिए था बोलना तो हो गए ख़ामोश हम सभी क्या कुछ किया है शोहरत ओ रुस्वाई के लिए पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ देखो कि ये मुफ़ीद है बीनाई के लिए सरसब्ज़ मेरी शाख़-ए-हुनर क्यूँ नहीं हुई ये मसअला है तेरे तमन्नाई के लिए है आज ये गिला कि अकेला है 'शहरयार' तरसोगे कल हुजूम में तन्हाई के लिए

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