आँसू
बाढ़ में जो बहे न बढ़ बोले। किसलिए तो बहुत बढ़े आँसू। जो कलेजा न काढ़ पाया तो। किसलिए आँख से कढ़े आँसू।1। अड़ अगर बार बार अड़ती है। तो रहे क्यों नहीं अडे आँसू। जो निकाले न जी कसर निकली। आँख से क्यों निकल पड़े आँसू।2। फेर में डालते हमें जो थे। तो फिराये न क्यों फिरे आँसू। जो किसी आँख से गये गिर तो। किसलिए आँख से गिरे आँसू।3। जान जिन में है जान वाले वे। हैं गिराते न जी गये आँसू। प्यास थी आबरू बचाने की। फिर अजब क्या कि पी गये आँसू।4। हैं उन्हें देख आग लग जाती। कब जलाते नहीं रहे आँसू। टूटता बेतरह कलेजा है। फूटती आँख है बहे आँसू।5। जो सकें सींच सींच तो देवें। किसलिए प्यार जड़ खनें आँसू। जी जलों का न जी जलाएँ वे। हैं अगर जल तो जल बनें आँसू।6। हैं छलकते उमड़ उमड़ आते। देख नीचा नहीं डरे आँसू। आँख कैसे नहीं तरह देती। बेतरह आज हैं भरे आँसू।7। चाल वाले न कब चले चालें। चोचलों साथ चल पड़े आँसू। मनचलापन दिखा दिखा अपना। मनचलों से मचल पड़े आँसू।8। खर खलों के मिले जलन से जल। आग जैसे न क्यों बले आँसू। जो कि हैं जी जला रहे उनको। क्यों जलाते नहीं जले आँसू।9। जो उन्हें था बखेरना काँटा। किसलिए तो बिखर पड़े आँसू। क्यों किसी आँख से निकल कर के। क्यों किसी आँख में गड़े आँसू।10।

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