ख़्वाब का दर बंद है
मेरे लिए रात ने आज फ़राहम किया एक नया मरहला नींदों से ख़ाली किया अश्कों से फिर भर दिया कासा मिरी आँख का और कहा कान में मैं ने हर इक जुर्म से तुम को बरी कर दिया मैं ने सदा के लिए तुम को रिहा कर दिया जाओ जिधर चाहो तुम जागो कि सो जाओ तुम ख़्वाब का दर बंद है

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