ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में
धूल में लिपटे चेहरे वाला मेरा साया किस मंज़िल किस मोड़ पे बिछड़ा ओस में भीगी ये पगडंडी आगे जा कर मुड़ जाती है कत्बों की ख़ुश्बू आती है घर वापस जाने की ख़्वाहिश दिल में पहले कब आती है उस लम्हे की रंग-बिरंगी सब तस्वीरें पहली बारिश में धुल जाएँ मेरी आँखों में लम्बी रातें घुल जाएँ

Read Next