जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था
जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था इक ऐसा मोड़ भी हमारी रात में आना था तुझ से बिछड़ जाने का ग़म कुछ ख़ास नहीं हम को एक न इक दिन खोट हमारी ज़ात में आना था आँखों को ये कहते सुनते रहते हैं हर दम सूखे को आना था और बरसात में आना था इक लम्बी सुनसान सड़क पर तन्हा फिरते हैं वो आहट थी हम को न उस की बात में आना था ऐ यादो तुम ऐसे क्यूँ इस वक़्त कहाँ आईं किसी मुनासिब वक़्त नए हालात में आना था

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