अपनी याद में
मैं अपने घाव गिन रहा हूँ दूर तितलियों के रेशमी परों के नीले पीले रंग उड़ रहे हैं हर तरफ़ फ़रिश्ते आसमान से उतर रहे हैं सफ़-ब-सफ़ मैं अपने घाव गिन रहा हूँ आँसुओं की ओस में नहा के भूले-बिसरे ख़्वाब आ गए ख़ून का दबाव और कम हुआ नहीफ़ जिस्म पर किसी के नाख़ुनों के आड़े-तिरछे नक़्श जगमगा उठे लबों पे लुकनतों की बर्फ़ जम गई तवील हिचकियों का एक सिलसिला फ़ज़ा में है लहू की बू हवा में है

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