आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए मैं ने सब तैयारियाँ कर ली हैं मरने के लिए इस बुलंदी ख़ौफ़ से आज़ाद हो उस ने कहा चाँद से जब भी कहा नीचे उतरने के लिए अब ज़मीं क्यूँ तेरे नक़्शे से नहीं हटती नज़र रंग क्या कोई बचा है इस में भरने के लिए ये जगह हैरत-ए-सराए है कहाँ थी ये ख़बर यूँ ही आ निकला था मैं तो सैर करने के लिए कितना आसाँ लग रहा है मुझ को आगे का सफ़र छोड़ आया पीछे परछाईं को डरने के लिए

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