ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए
ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए जिलौ में चाँदनी रातों का एहतिमाम लिए चटक रही है किसी याद की कली दिल में नज़र में रक़्स-ए-बहाराँ की सुब्ह-ओ-शाम लिए हुजूम-ए-बादा-ओ-गुल में हुजूम-ए-याराँ में किसी निगाह ने झुक कर मिरे सलाम लिए किसी ख़याल की ख़ुशबू किसी बदन की महक दर-ए-क़फ़स पे खड़ी है सबा पयाम लिए महक महक के जगाती रही नसीम-ए-सहर लबों पे यार-ए-मसीहा-नफ़स का नाम लिए बजा रहा था कहीं दूर कोई शहनाई उठा हूँ आँखों में इक ख़्वाब-ए-ना-तमाम लिए

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