नया साल
करोड़ों बरस की पुरानी कुहन-साल दुनिया ये दुनिया भी क्या मस्ख़री है नए साल की शाल ओढ़े ब-सद-तंज़ हम सब से ये कह रही है कि मैं तो ''नई'' हूँ हँसी आ रही है

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