अपने दुखड़े
देश को जिस ने जगाया जगे सोने न दिया। आग घर घर में बुरी फूट को बोने न दिया।1। है वही बीर पिया दूध उसी ने माँ का। जाति को जिसने जिगर थाम के रोने न दिया।2। बन गये भोले बहुत, अपनी भलाई भूली। है इसी भूल ने अब तक भला होने न दिया।3। बार से कैसे दुखों के न भला दब जाते। ऐब अपना हमें अदबार ने खोने न दिया।4। किस तरह बात बने क्यों न दबा अनबन ले। प्यार का बोझ बनावट ने तो ढोने न दिया।5। हो सके मेल क्यों हम कैसे गले मिल पावें। मैल जी का बुरे मैलान ने खोने न दिया।6। तो किसी काम की रंगत न रही जो उसने। भाव रंगों में उमंगों को भिगोने न दिया।7। लाल माई का हमें लोग कहेंगे कैसे। प्रेम आँसू ने अगर मोती पिरोने न दिया।8।

Read Next