मंज़िलें इश्क़ की आसाँ हुईं चलते चलते
मंज़िलें इश्क़ की आसाँ हुईं चलते चलते और चमका तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा आख़िर-ए-शब

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