हुए हैं राम पीतम के नयन आहिस्ता-आहिस्ता
हुए हैं राम पीतम के नयन आहिस्ता-आहिस्ता कि ज्यूँ फाँदे में आते हैं हिरन आहिस्ता-आहिस्ता मिरा दिल मिस्ल परवाने के था मुश्ताक़ जलने का लगी उस शम्अ सूँ आख़िर लगन आहिस्ता-आहिस्ता गिरेबाँ सब्र का मत चाक कर ऐ ख़ातिर-ए-मिस्कीं सुनेगा बात वो शीरीं-बचन आहिस्ता-आहिस्ता गुल ओ बुलबुल का गुलशन में ख़लल होवे तो बरजा है चमन में जब चले वो गुल-बदन आहिस्ता-आहिस्ता 'वली' सीने में मेरे पंजा-ए-इश्क़-ए-सितमगर ने किया है चाक दिल का पैरहन आहिस्ता-आहिस्ता

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