कमनीय कामनाएँ
वर-विवेक कर दान सकल-अविवेक निवारे। दूर करे अविनार सुचारु विचार प्रचारे। सहज-सुतति को बितर कुमति-कालिमा नसावे। करे कुरुचि को विफल सुरुचि को सफल बनावे। भावुक-मन-सुभवन में रहे प्रतिभा-प्रभा पसारती। भव-अनुपम-भावों से भरित भारत-भूतल-भारती।1। प्यारी न्यारी प्रभु-पद-रता कान्त चिन्ता उपेता। पाई जावे परम-मधुरा मानवी-प्रीति पूता। सद्भावों से विलस सरसे सारभूता दिखावे। होवे सारे रुचिर रस से सिक्त साहित्य सत्ता।2। कुफल 'फूल' कदापि न दे सकें। फल भले फल कामुक को मिलें। विफलता विफला बनती रहे। सफलता कृति को सफला करे।3। नयन हों हित अंजन से अंजे। विनय हो मन मधय विराजती। रत रहें जन-रंजन में सदा। रुचि रहे जगतीतल रंजिनी।4। मधुरिमा-मय हो बचनावली। बहु मनोहर भाव समूह हों। हृदय में बिलसे हितकारिता। भरित मानवता मन में रहे।5।

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