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निर्मम संसार
निर्मम संसार
Hari Oudh
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Hindi
वायु के मिस भर भरकर आह । ओस मिस बहा नयन जलधार । इधर रोती रहती है रात । छिन गये मणि मुक्ता का हार ।।१।। उधर रवि आ पसार कर कांत । उषा का करता है शृंगार । प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति । देख लो कैसा है संसार ।।२।।
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Last edited by
abhishek
July 30, 2016
Added by
Chhotaladka
June 28, 2016
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