महादेव के लिये
स्वर्ग से पतित सुर-सरिता को शीश धर भाल पे बिठा लिया मयंक ये प्रमाण है । लोकहित में समस्त जगती का विष पिया खल-बल को तृ्तीय नेत्र विद्यमान है । प्रेम वशीभूत भूतनाथ के भुजंग संग नदिया तो गिरिजा गनेश के समान हैं । भोलानाथ महादेव औघड़ प्रसन्न हों तो भूल जाते कौन भक्त, कौन भगवान हैं ।

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