जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में
जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गयी राम सुधि की झौपड़ी सरपंच की चौपाल में खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए हम को पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

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