महेज़ तनख़्वाह से निपटेंगे क्या नखरे लुगाइ के
महेज़ तनख़्वाह से निपटेंगे क्या नखरे लुगाइ के हज़ारों रास्ते हैं सिन्हा साहब की कमाई के ये सूखे की निशानी उनके ड्राइंगरूम में देखो जो टी० वी० का नया सेट है रखा ऊपर तिपाई के मिसेज़ सिन्हा के हाथों में जो बेमौसम खनकते हैं पिछली बाढ़ के तोहफ़े हैं, ये कंगन कलाई के ये 'मैकाले' के बेटे ख़ुद को जाने क्या समझते हैं कि इनके सामने हम लोग 'थारू' हैं तराई के भारत माँ की एक तस्वीर मैंने यूँ बनाई है बँधी है एक बेबस गाय खूँटे में कसाई के

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