भुखमरी, बेरोज़गारी, तस्करी के एहतिमाम,
सन् सतासी नज़्र कर दें मज़हबी दंगों के नाम।
दोस्त ! मलियाना में जाके देखिए,
दो क़दम 'हिटलर' से आगे है ये जम्हूरी निज़ाम।
है इधर फ़ाक़ाकशी से रात का कटना मुहाल,
रक्स करती है उधर स्कॉच की बोतल में शाम।
बम उगाएँगे 'अदम' देहकान गंदुम के एवज़,
आप पहुँचा दें हुकूमत तक हमारा ये पयाम।