इनको चूमो
कीचड़-कालिख से सने हाथ इनको चूमो सौ कामिनियों के लोल कपोलों से बढ़कर जिसने चूमा दुनिया को अन्न खिलाया है आतप-वर्षा-पाले से सदा बचाया है। श्रम-सीकर से लथपथ चेहरे इनको चूमो गंगा-जमुना की लोल-लहरियों से बढ़कर माँ-बहनों की लज्जा जिनके बल पर रक्षित बुन चीर द्रौपदी का हर बार बढाया है। कुश-कंटक से क्षत-विक्षत पग इनको चूमो जो लक्ष्मी-ललित क्षीर-सिंधु के चर्चित चरणों से बढ़कर जिनका अपराजित शौर्य धवल हिम-शिखरों पर महिमा-मण्डित मानवता का वर्चस्व सौरमण्डल स्पंदित कर आया है।

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