सभा का खेल
सभा सभा का खेल आज हम खेलेंगे जीजी आओ, मैं गाधी जी, छोटे नेहरू तुम सरोजिनी बन जाओ। मेरा तो सब काम लंगोटी गमछे से चल जाएगा, छोटे भी खद्दर का कुर्ता पेटी से ले आएगा। लेकिन जीजी तुम्हें चाहिए एक बहुत बढ़िया सारी, वह तुम माँ से ही ले लेना आज सभा होगी भारी। मोहन लल्ली पुलिस बनेंगे हम भाषण करने वाले, वे लाठियाँ चलाने वाले हम घायल मरने वाले। छोटे बोला देखो भैया मैं तो मार न खाऊँगा, मुझको मारा अगर किसी ने मैं भी मार लगाऊँगा! कहा बड़े ने-छोटे जब तुम नेहरू जी बन जाओगे, गांधी जी की बात मानकर क्या तुम मार न खाओगे? खेल खेल में छोटे भैया होगी झूठमूठ की मार, चोट न आएगी नेहरू जी अब तुम हो जाओ तैयार। हुई सभा प्रारम्भ, कहा गांधी ने चरखा चलवाओ, नेहरू जी भी बोले भाई खद्दर पहनो पहनाओ। उठकर फिर देवी सरोजिनी धीरे से बोलीं, बहनो! हिन्दू मुस्लिम मेल बढ़ाओ सभी शुद्ध खद्दर पहनो। छोड़ो सभी विदेशी चीजें लो देशी सूई तागा, इतने में लौटे काका जी नेहरू सीट छोड़ भागा। काका आए, काका आए चलो सिनेमा जाएँगे, घोरी दीक्षित को देखेंगे केक-मिठाई खाएँगे! जीजी, चलो, सभा फिर होगी अभी सिनेमा है जाना, आओ, खेल बहुत अच्छा है फिर सरोजिनी बन जाना। चलो चलें, अब जरा देर को घोरी दीक्षित बन जाएँ, उछलें-कूदें शोर मचावें मोटर गाड़ी दौड़ावें!

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