प्रथम दर्शन
प्रथम जब उनके दर्शन हुए, हठीली आँखें अड़ ही गईं। बिना परिचय के एकाएक हृदय में उलझन पड़ ही गई॥ मूँदने पर भी दोनों नेत्र, खड़े दिखते सम्मुख साकार। पुतलियों में उनकी छवि श्याम मोहिनी, जीवित जड़ ही गई॥ भूल जाने को उनकी याद, किए कितने ही तो उपचार। किंतु उनकी वह मंजुल-मूर्ति छाप-सी दिल पर पड़ ही गई॥

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