शिशिर ने पहन लिया
शिशिर ने पहन लिया वसंत का दुकूल गंध बन उड़ रहा पराग धूल झूल काँटे का किरीट धारे बने देवदूत पीत वसन दमक उठे तिरस्कृत बबूल अरे! ऋतुराज आ गया।

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