न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा
न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा तुझे देखे से याद आता है मुझ को माहताब अपना

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