मिरी इस चश्म-ए-तर से अब्र-ए-बाराँ को है क्या निस्बत
मिरी इस चश्म-ए-तर से अब्र-ए-बाराँ को है क्या निस्बत कि वो दरिया का पानी और ये ख़ून-ए-दिल है बरसाती

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