कुछ हम को इम्तियाज़ नहीं साफ़ ओ दुर्द का
कुछ हम को इम्तियाज़ नहीं साफ़ ओ दुर्द का ऐ साक़ियान-ए-बज़्म बयारीद हरचे हस्त

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