गो सफ़ेदी मू की यूँ रौशन है जूँ आब-ए-हयात
गो सफ़ेदी मू की यूँ रौशन है जूँ आब-ए-हयात लेकिन अपनी तो इसी ज़ुल्मात से थी ज़िंदगी

Read Next