लेता है जान मेरी तो में सर-ब-दस्त हूँ
लेता है जान मेरी तो में सर-ब-दस्त हूँ ऐ यार मैं तो कुश्ता-ए-रोज़-ए-अलस्त हूँ इक दम की ज़िंदगी के लिए मत उठा मुझे ऐ बे-ख़बर मैं नक़्श-ए-ज़मीं की निशस्त हूँ तू मस्त कर शराब से ऐ गुल-बदन मुझे ज़ालिम मैं तेरी चश्म-ए-गुलाबी से मस्त हूँ दूर-अज़-तरीक़ मुझ को समझियो न ज़ाहिदा गर तू ख़ुदा-परस्त है मैं बुत-परस्त हूँ इन संग-दिल बुतों का गिला क्या करूँ 'नज़ीर' मैं आप अपने शीशा-ए-दिल की शिकस्त हूँ

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