कहने उस शोख़ से दिल का जो मैं अहवाल गया
कहने उस शोख़ से दिल का जो मैं अहवाल गया वाँ न तफ़्सील गई पेश न इज्माल गया दाम-ए-काकुल से गिला क्या ये जो है ताइर-ए-दिल आप अपने ये फँसाने को पर-ओ-बाल गया दिल-ए-बे-ताब की क्या जाने हुई क्या सूरत पीछे उस शोख़ सितम-गर के जो फ़िलहाल गया ले गया साथ लगा वो बुत-ए-क़ातिल घर तक या उसे मार के रस्ते में कहीं डाल गया ख़ैर वो हाल हुआ या ये हुई शक्ल 'नज़ीर' कुछ तअस्सुफ़ न करो जाने दो जंजाल गया

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