हरा और पीला
चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ फैले हरे पर क्यों सिमटी पीली रेखा - मैंने ख़ुद को तुम्हारी आँखों में देखा | बाल मैं नहीं हूँ लहराते धान का खेत में जो कलगी बन जाऊँ दृश्य जगत का सेत-मेत में डंठल हूँ इधर लेटा, उधर देता हूँ, चारा हूँ पशुओं का मत कहो प्रणेता हूँ |

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