बदरिया थम-थमकर झर री !
बदरिया थम-थनकर झर री ! सागर पर मत भरे अभागन गागर को भर री ! बदरिया थम-थमकर झर री ! एक-एक, दो-दो बूँदों में बंधा सिन्धु का मेला, सहस-सहस बन विहंस उठा है यह बूँदों का रेला। तू खोने से नहीं बावरी, पाने से डर री ! बदरिया थम-थमकर झर री! जग आये घनश्याम देख तो, देख गगन पर आगी, तूने बूंद, नींद खितिहर ने साथ-साथ ही त्यागी। रही कजलियों की कोमलता झंझा को बर री ! बदरिया थम-थमकर झर री !

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