वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
मैं सोई होई मुट्ठी आं, मैं वांग ज़ुलैखां कुट्ठी आं, चा इश्क ने मैं फट्टी आं, मेरा बन्द बन्द हिल्ल गया । वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया । मैं स्याणियां सभ बुलाईआं, मैं औसियां सभ पवाईआं, जवाब दित्ता नजूमियां, मेरी नैणीं नीर उच्छल गया । वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया । नेड़े क्युं नहीं आईदा, सानूं दूरों नहीं दिखलाईदा, नज़्ज़ारे तों ड्राईदा, कोह तूर पहाड़ जल गया । वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया । पिया ने नैन बान ला के, बिरहों सूं चहचेहा के, फरहाद तों कोह कटा के, शीरीं सों रल गया । वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया । बुल्ल्हा आप तों लभाईदा, शहु इनायत है पाईदा, नेड़े ही पछोताईदा, बुल्ल्हा अज्ज शहु मिल गया । वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया ।

Read Next