उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । इह सौन तेरे दरकार नहीं । इक रोज़ जहानों जाना ए जा कबरे विच समाना ए, तेरा गोशत कीड़िआं खाना ए कर चेता मरग विसार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । तेरा साहा नेड़े आया ए कुझ्झ चोली दाज रंगाइआ ए, क्युं आपना आप वंजाइआ ए ऐ ग़ाफ़ल तैनूं सार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । तूं सुत्त्यां उमर वंजाई ए तूं चरखे तन्द ना पाई ए, की करसें दाज त्यार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । तूं जिस दिन जोबन मत्ती सैं, तूं नाल सईआं दे रत्ती सैं, हो गाफल गल्लीं वत्ती सैं, इह भोरा तैनूं सार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । तूं मुढ्ढों बहुत कुचज्जी सैं, निरलज्ज्यां दी निरलज्जी सैं, तूं खा खा खाने रज्जी सैं, हुन ताईं तेरा बार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । अज्ज कल्ल्ह तेरा मुक्कलावा ए क्युं सुत्ती कर कर दाअवा ए ? अनडिठ्यां नाल मिलावा ए इह भलके गरम बज़ार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । तूं एस जहानों जाएंगी, फिर कदम ना एथे पाएंगी, इह जोबन रूप वंजाएंगी, तैं रहना विच संसार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । मंज़ल तेरी दूर दुराडी, तूं पौणां विच जंगल वादी, औखा पहुंचन पैर प्यादी, दिसदी तूं असवार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । इक इकल्ली तनहा चलसें, जंगल बरबर्र दे विच रुलसें, लै लै तोशा इथों घलसें, उथे लैन उधार नहीं । उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । उह खाली ए सुंञ हवेली, तूं विच रहसें इक्क इकेली, ओथे होसी होर ना बेली, साथ किसे दा बार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । जेहड़े सन देसां दे राजे, नाल जिन्हां दे वज्जदे वाजे, गए रो रो बेतखते ताजे, कोई दुनियां दा इतबार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । कित्थे है सुलतान सिकन्दर, मौत ना छड्डे पीर पैगम्बर, सभ्भे छड्ड गए अडम्बर, कोई एथे पायदार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । किथे यूसफ माह-कन्यानी, लई ज़ूलैखां फेर जवानी, कीती मौत ने ओड़क फ़ानी, फेर उह हार शिंगार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । कित्थे तख़त सुलेमां वाला, विच हवा उड्डदा सी बाला, उह भी कादर आप संभाला, कोई ज़िन्दगी दा इतबार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । कित्थे मीर मलक सुलतानां, सभ्भे छड्ड छड्ड गए टिकाणा, कोई मार ना बैठे ठाणा, लशकर दा जिन्हां शुमार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । फुल्लां फुल्ल चम्बेली लाला, सोसन सिम्बल सरू निराला, बादि-खिज़ां कीता बुर हाला, नरगस नित खुमार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । जो कुझ करसें, सो कुझ पासें, नहीं ते ओड़क पिछोतासें, सुंञी कूंज वांङ कुरलासें, खंभां बाझ उडार नहीं । उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । डेरा करसें उहनीं जाईं, जिथे सेर पलंग बलाई, खाली रहसन महल सराईं, फिर तूं विरसेदार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । असीं आज़ज़ विच कोट इलम दे, ओसे आंदे विच कलम दे, बिन कलमे दे नाहीं कंम दे, बाझों कलमे पार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं । बुल्ल्हा शौह बिन कोई नाहीं, एथों ओथे दोहीं सराईं, संभल संभल के कदम टिकाईं, फेर आवन दूजी वार नहीं, उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं ।

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