टुक्क बूझ कौन छुप आया ए
टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । किसे भेखी भेख वटाइआ ए । जिस ना दरद की बात कही, उस प्रेम नगर ना झात पई, उह डुब्ब मोई सभ घात गई, उह क्युं चन्दरी ने जाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । मानन्द पलास बणाइओ ई मेरी सूरत चा लिखाइओ ई, मुक्ख काला कर दिखलाइओ ई क्या स्याही रंग लगाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । इक रब्ब दा नां ख़ज़ाना ए संग चोरां यारां दाना ए, उस रहमत दा खसमाना ए संग ख़ौफ रकीब बणाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । दूई दूर करो कोई शोर नहीं, इह तुरक हिन्दू कोई होर नहीं, सभ साध कहो कोई चोर नहीं, हर घट विच आप समाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । ऐवें किस्से काहनूं घड़ना एं, ते गुलसतां, बोसतां पढ़ना एं, ऐवें बेमूज़ब क्युं लड़ना एं, किस उलटा वेद पढ़ाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । शरियत साडी दाई ए तरीकत साडी माई ए, अग्गों हक्क हकीकत आई ए अते मारफतों कुझ पाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । है विरली बात बतावन दी, तुसीं समझो दिल ते लावन दी, कोई गत्त दस्सो इस बावन दी, इह काहनूं भेत बणाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । इह पढ़ना इलम ज़रूर होया, पर दसना ना मंज़ूर होया, जिस दस्या सो मनसूर होया, इस सूली पकड़ चढ़ाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । मैनूं किसब ना फिकर तमीज़ कीता, दुख तन आरफ बाज़ीद कीता, कर ज़ुहद किताब मजीद कीता, किसे बे-मेहनत नहीं पाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । इस दुक्ख से किचरक भागेंगा, रहें सुत्ता कद तूं जागेंगा, फेर उठदा रोवन लागेंगा, किसे ग़फ़लत मार सुलाइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । ग़ैन ऐन दी सूरत इक ठहरा, इक नुकते दा है फरक पड़ा, जो नुकता दिल थीं दूर करा, फिर ग़ैन वा ऐन जिताइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । जेहड़ा मन विच लग्गा दूआ रे, इह कौन कहे मैं मूआ रे, तन सभ इनायत हूआ रे, फिर बुल्ल्हा नाम धराइआ ए । टुक्क बूझ कौन छुप आया ए । किसे भेखी भेख वटाइआ ए ।

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