रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
कहु किस नूं पार उतारिआ ई ।
आदम कणकों मन्हा कराइआ, आपे मगर शैतान दुड़ाइआ,
कढ्ढ बहशतों ज़मीन रुलाइआ, केड पसार पसारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
ईसा नूं बिन बाप जंमाइआ, नूहे पर तूफान मंगाइआ,
नाल प्यु दे पुत्तर लड़ाइआ, डोब उहनां नूं मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मूसे नूं कोह-तूर चढ़ाययो, असमाईल नूं ज़िबाह करायओ,
यूनस मच्छी तों निगलाययो, की उहनां नूं रुत्तबे चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
ख़वाब ज़ुलैखां नूं दिखलाययो, यूसफ़ खूह दे विच पवायओ,
भाईआं नूं इलज़ाम दिवाययो, तां मरातब चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
भट्ठ सुलेमान नूं झुकाइओ, इबराहीम चिखा विच पाइओ,
साबर दे तन कीड़े पाययो, हुसन ज़हर दे मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मनसूर नूं चा सूली दित्ता, राहब दा कढवाइओ पित्ता,
ज़करिया सिर कलवत्तर कीता, फेर उहनां कंम की सारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
शाह सरमद दा गला कटाययो, शमस ने जां सुखन अलायओ,
कुमबइजनी आप कहाययो, सिर पैरों खल्ल उतारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
एस इश्क दे बड़े अडम्बर, इश्क ना छप्पदा बाहर अन्दर,
इश्क कीता शाह शरफ़ कलन्दर, बार्हां वर्हे दरिआ विच ठारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
इश्क लेला दे धुंमां पाईआं, तां मजनूं ने अक्खियां लाईआं,
उहनूं धारां इश्क चुंघाईआं, खूहे बरस गुज़ारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
इश्क होरीं हीर वल्ल धाए, तांहीएं रांझे कन्न पड़वाए,
साहबां नूं जदों व्याहुन आए, सिर मिरज़े दा वारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
सस्सी थलां दे विच रुलाई, सोहनी कच्चे घड़े रुढ़ाई,
रोडे पिच्छे गल्ल गवाई, टुकड़े कर कर मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
फ़ौज़ां कतल कराईआं भाईआं, मशकां चूहआं तों कटवाईआं,
डिट्ठी कुदरत तेरी साईआं, सिर तैथों बलेहारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
कैरों पांडो करन लड़ाईआं, अठारां खूहणियां तदों खपाईआं,
मारन भाई सक्यां भाईआं, की ओथे न्यां नितारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
नमरूद ने वी खुदा सदाइआ, उस ने रब्ब नूं तीर चलाइआ,
मच्छर तों नमरूद मरवाइआ, कारूं ज़मीं निघारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
फिरऔन ने जदों ख़ुदा कहाइआ, नील नदी दे विच आया,
ओसे नाल अशटंड जगाइआ, खुदीयों कर तद मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
लंका चढ़ के नाद बजाययो, लंका राम कोलों लुटवायओ,
हरनाकश कित्ता बहशत बनाययो, उह विच दरवाज़े मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
सीता दैहसर लई बेचारी, तद हनूवंत ने लंका साड़ी,
रावन दी सभ ढाह अटारी, ओड़क रावन मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
गोपियां नाल की चज्ज कमाइआ, मक्खन कान्ह तों लुटवाइआ,
राजे कंस नूं पकड़ मंगाइआ, बोदीउं पकड़ पछाड़िआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
आपे चा इमाम बणाइआ, उस दे नाल यज़ीद लड़ाइआ,
चौधीं तबकीं शोर मचाइआ, सिर नेज़े 'ते चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मुग़लां ज़हर प्याले पीते, भूरियां वाले राजे कीते,
सभ असरफ़ फिरन चुप्प कीते, भला उहनां नूं झाड़िआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
बुल्ल्हा शाह फकीर विचारा, कर कर चल्या कूच नगारा,
रौशन जग्ग विच नाम हमारा, नूहों सरज उतारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।