प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना
प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना । तूं कदी ते हो स्याना । करके चावड़ चार देहाड़े, थीसें अंत निमाना । ज़ुलम करें ते लोक सतावें, छड्ड दे ज़ुलम सताना । प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना । जिस जिस दा वी मान करें तूं, सो वी साथ ना जाना । शहर-खामोशां वेख हमेशां, जिस विच जग्ग समाना । प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना । भर भर पूर लंघावे डाढा, मलकुल-मौत मुहाना । ऐथे हैन तनते सभ, मैं अवगुणहार निमाना । प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना । बुल्ल्हा दुशमन नाल बरे विच, है दुशमन बल ढाना । महबूब-रब्बानी करे रसाई, ख़ौफ जाए मलकाना । प्यारे बिन मसल्हत उट्ठ जाना । तूं कदी ते हो स्याना ।

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