नेहुं लग्गा मत गई गवाती, नाहुनो-अकरब ज़ात पछाती,
साईं भी शाह रग तों नेड़े, पड़तालिओ हुन आशक केहड़े ।
हीरे हो मुड़ रांझा होई, इह गल्ल विरला जाने कोई,
चुक्क पए सभ झगड़े झेड़े, पड़तालिओ हुन आशक केहड़े ।
लै बारातां रातीं जागन, नूर नबी दे बरसन लागण,
उहो वेख असाडे झेड़े, पड़तालिओ हुन आशक केहड़े ।
अनुलहक्क आप कहाइआ लोकां, मनसूर ना देंदा आपे होका,
मुल्लां बण बण आवन नेड़े, पड़तालिओ हुन आशक केहड़े ।
बुल्ल्हा शाह शरियत काज़ी है, हकीकत पर भी राज़ी है,
साईं घर घर न्याउं नबेड़े, पड़तालिओ हुन आशक केहड़े ।