मुरली बाज उठी अणघातां ।
सुन के भुल्ल गईआं सभ बातां ।
लग्ग गए अनहद बान न्यारे, झूठी दुनियां कूड़ पसारे,
साईं मुक्ख वेखन वणजारे, मैनूं भुल्ल गईआं सभ बातां ।
मुरली बाज उठी अणघातां ।
हुन मैं चैंचल मिरग फहाइआ, ओसे मैनूं बन्न्ह बहाइआ,
सिरफ दुगाना इश्क पढ़ाइआ, रह गईआं त्रै चार कातां ।
मुरली बाज उठी अणघातां ।
बूहे आण खलोता यार, बाबल पुज्ज प्या तकरार,
कलमे नाल जे रहे वेहार, नबी मुहंमद भरे सफातां ।
मुरली बाज उठी अणघातां ।
बुल्ल्हे शाह मैं हुन बरलाई, जद दी मुरली काहन बजाई,
बावरी हो तुसां वल्ल धाई, खोजियां कित वल दसत बारतां ।
मुरली बाज उठी अणघातां ।