मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए
कह बुल्ल्हा हुन प्रेम कहाणी, जिस तन लागे सो तन जाणे, अन्दर झिड़कां बाहर ताअने, नेहुं ला इह सुक्ख पाइआ ए । मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए । नैणां कार रोवन दी पकड़ी, इक मरना दो जग्ग दी फकड़ी, ब्रेहों जिन्द अवल्ली जकड़ी, नी मैं रो रो हाल वंजाइआ ए । मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए । मैं प्याला तहकीक लीता ए जो भर के मनसूर पीता ए, दीदार मिअराज पिया लीता ए मैं खूह थीं वुज़ू सजाया ए । मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए । इश्क मुल्लां ने बांग दिवाई, शहु आवन दी गल्ल सुणाई, कर नीयत सजदे वल्ल धाई, नी मैं मूंह महराब लगाया ए । मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए । बुल्ल्हा शहु घर लपट लगाईं, रसते में सभ बण तण जाईं, मैं वेखां आ इनायत साईं, इस मैनूं शहु मिलाइआ ए । मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।

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