मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए
मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए । कहूं तरक किताबां पढ़ते हो, कहूं भगत हिन्दू जप करते हो, कहूं गोरकंडी विच पड़ते हो, हर घर घर लाड लडाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए । किते वैरी हो किते बेली हो, किते आप गुरू किते चेली हो, किते मजनू हो किते लेली हो, हर घट घट बीच समाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए । कहूं गाफ़ल कहूं नमाज़ी हो, कहूं मिम्बर ते बह काज़ी हो, कहूं तेग़ बहादुर ग़ाज़ी हो, कहूं आपना पंथ बणाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए । कहूं मसजद दा वरतारा ए कहूं बण्या ठाकुरदुआरा ए, कहूं बैरागी जट धारा ए कहूं शैखन बण बण आया ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए । बुल्ल्हा शहु दा मैं मुहताज होया, महाराज मिले मेरा काज होया, मुझे पिया का दरस मिअराज होया, लग्गा इश्क तां इह गुन गाइआ ए । मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

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