मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
एस कुसुम्बे दे कंडे भलेरे अड़ अड़ चुन्नड़ी पाड़ी । एस कुसुम्बे दा हाकम करड़ा ज़ालम ए पटवारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी । एस कुसुम्बे दे चार मुकद्दम मुआमला मंगदे भारी । होरनां चुगिआ फूहआ-फूहआ मैं भर लई पटारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी । चुग्ग चुग्ग के मैं ढेरी कीता लत्थे आण बपारी । औखी घाटी मुशकल पैंडा सिर पर गट्ठड़ी भारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी । अमलां वालियां सभ लंघ गईआं रह गई औगुणहारी । सारी उमरा खेड गवाई ओड़क बाज़ी हारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी । अलस्सत केहा जद अक्खियां लाईआं हुन क्यों यार विसारी । इक्को घर विच वसदियां रसदियां हुन क्यों रही नयारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी । मैं कमीनी कुचज्जी कोहजी बेगुन कौन विचारी । बुल्ल्हा शौह दे लायक नाहीं शाह इनायत तारी । मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।

Read Next