कौन आया पहन लिबास कुड़े
कौन आया पहन लिबास कुड़े । तुसीं पुच्छो नाल इख़लास कुड़े । हत्थ खूंडी कम्बल काला, अक्खियां विच वसे उजाला, चाक नहीं कोई है मतवाला, पुच्छो बिठा के पास कुड़े । कौन आया पहन लिबास कुड़े । चाकर चाक ना इस नूं आखो, इह ना खाली गुझ्झड़ी घातों, विछड़्या होया पहली रातों, आया करन तलाश कुड़े । कौन आया पहन लिबास कुड़े । ना इह चाकर चाक कही दा, ना इस ज़र्रा शौक महीं दा, ना मुशताक है दुद्ध दहीं दा, ना उस भुक्ख प्यास कुड़े । कौन आया पहन लिबास कुड़े । बुल्ल्हा शहु लुक बैठा ओहले, दस्से भेत ना मुक्ख से बोले, बाबल वर खेड़्यां तों टोले, वर मांहढा महंडे पास कुड़े । कौन आया पहन लिबास कुड़े ।

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