कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ
कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ । तेरियां वाटां तों सिर घोलिआ । मैं न्हाती धोती रह गई, कोई गंढ सज्जन दिल बह गई, कोई सुख़न अवल्ला बोलिआ, कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ । बुल्ल्हा शहु कदी घर आवसी, मेरी बलदी भा बुझावसी, जीहदे दुक्खां ने मूंह खोल्हआ, कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ ।

Read Next