कदी आपनी आख बुलाओगे
मैं बेगुन क्या गुन किया है, तन पिया है मन पिया है, उह पिया सु मोरा जिया है, पिया पिया से रल जाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । मैं फ़ानी आप को दूर करां, तैं बाकी आप हज़ूर करां, जे अज़हार वांग मनसूर करां, खड़ सूली पकड़ चढ़ाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । मैं जागी सभ सोया है, खुल्ल्ही पलक ते उठ के रोया है, जुज़ मसती काम ना होया है, कदी मसत अलस्सत बणाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । जदों अनहद बण दो नैन धरे, अग्गे सिर बिन धड़ के लाख पड़े, उच्छल रंगन दे दरिआ चढ़े, मेरे लहू दी नदी वगाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । किसे आशक ना सुक्ख सोना ए असां रो रो के मुक्ख धोना ए, इह जादू है कि टूना ए इस रोग दा भोग बणाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । कहो क्या सिर इश्क बिचारेगा, फिर क्या बीसी निरवारेगा, जथ दार उप्पर सिर वारेगा, तब पिच्छों ढोल वजाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । मैं आपना मन कबाब किया, आंखों का अरक शराब किया, रग तारां हड्ड कबाब किया, क्यामत क्या नाम बुलाओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । शकरंजी को क्या कीजीएगा, मन भाना सौदा लीजीएगा, इह दीन दुनी किस दी जीएगा, मुझे आपना दरस बताओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । मैनूं आण नज़ारे ताइआ है, दो नैणां बरखा लाइआ है, बन रोज़ इनायत आया है, ऐवें आपना आप जिताओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे । बुल्ल्हा शहु नूं वेखन जाओगे, इन्हां अक्खियां नूं समझाओगे, दीदार तदाहीं पाओगे, बण शाह इनायत घर आओगे । कदी आपनी आख बुलाओगे ।

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