जिस तन लगिआ इश्क कमाल
जिस तन लगिआ इश्क कमाल । नाचे बेसुर ते बेताल । दरदमन्दां नूं कोई ना छेड़े, आपे आपना दुक्ख सहेड़े, जंमना ज्यूना मूल हुगेड़े, आपना बूझे आप ख़्याल । जिस तन लगिआ इश्क कमाल । जिस ने वेस इश्क दा कीता, धुर दरबारों फ़तवा लीता, जदों हज़ूरों प्याला पीता, कुझ्झ ना रेहा जवाब सवाल । जिस तन लगिआ इश्क कमाल । जिस दे अन्दर वस्या यार, उठ्या यारो यार पुकार, ना उह चाहे राग ना तार, ऐवें बैठा खेडे हाल । जिस तन लगिआ इश्क कमाल । बुल्ल्हा शौह नगर सच्च पाइआ, झूठा रौला सभ मुकाइआ, सच्च्यां कारन सच्च सुणाइआ, पाइआ उस दा पाक जमाल । जिस तन लगिआ इश्क कमाल ।

Read Next