इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए
इक अलफ़ों दो तिन्न चार होए, फिर लक्ख करोड़ हज़ार होए, फिर उथों बाझों शमार होए, इक अलफ़ दा नुक़्ता न्यारा ए, इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए । क्यों पढ़ना एं गड्ड किताबां दी, सिर चाना एं पंड अज़ाबां दी, हुण होइउं शकल जल्लादां दी, अग्गे पैंडा मुशकल भारा ए, इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए । बण हाफ़ज हिफ़ज कुरान करें, पढ़ पढ़ के साफ़ ज़बान करें, फिर न्यामत विच ध्यान करें, मन फिरदा ज्युं हलकारा ए, इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए । बुल्ल्हा बी बोहड़ दा बोया ई उह बिरछ वड्डा जा होया ई, जद बिरछ उह फ़ानी होया ई फिर रह गया बी अकारा ए, इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

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