हुण मैनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर
हादी मैनूं सबक पढ़ाइआ, ओथे ग़ैर ना आया जाइआ, मतलक ज़ात जमाल विखाइआ, वहदत पाइआ शोर । हुण मैनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर । अव्वल हो के लामकानी, ज़ाहर बातन दिसदा जानी, रिहा ना मेरा नाम निशानी, मिट गया झगड़ा शोर । हुण मैनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर । प्यारा आप जमाल विखाले, मसत कलन्दर होण मतवाले, हंसां दे हुण वेख लै चाले, बुल्ल्हा कागां दी हुण गई टोर । हुण मैनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर ।

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