चलो देखिए उस मसतानड़े नूं
चलो देखिए उस मसतानड़े नूं, जिद्ही त्रिंञणां दे विच पई ए धुंम । उह ते मैं वहदत विच रंगदा ए, नहीं पुच्छदा जात दे की हो तुम । जीद्हा शोर चुफेरे पैंदा ए, उह कोल तेरे नित्त रहन्दा ए, नाले 'नाहन अकरब' कहन्दा ए, नाले आखे 'वफ़ी-अनफ़स-कुम' । छड्ड झूठ भरम दी बसती नूं, कर इश्क दी कायम मसती नूं, गए पहुंच सजन दी हसती नूं, जिहड़े हो गए 'सुम-बुकम-उम' । ना तेरा ए ना मेरा ए, जग्ग फ़ानी झगड़ा झेड़ा ए, बिनां मुरशद रहबर किहड़ा ए, पढ़-'फाज़-रूनी-अज़-कुर-कुम' । बुल्ल्हे शाह इह बात इशारे दी, जिन्हा लग्ग गई तांघ नज़ारे दी, दस्स पैंदी घर वणजारे दी, है 'यदउल्ल्हा-फ़ौका अयदीकुम' । चलो देखिए उस मसतानड़े नूं, जिद्ही त्रिंञणां दे विच पई ए धुंम ।

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