भैणां मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी
पिड़ी पिछे पछवाड़े रह गई, हत्थ विच रह गई जुट्टी, अग्गे चरखा पिच्छे पीहड़ा, मेरे हत्थों तन्द तरुट्टी, भैणां मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी । दाज जवाहर असां की करना, जिस प्रेम कटवाई मुट्ठी, ओहो चोर मेरा पकड़ मंगायो, जिस मेरी जिन्द कुट्ठी, भैणां मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी । भला होया मेरा चरखा टुट्टा, मेरी जिन्द अज़ाबों छुट्टी, बुल्ल्हा शौह ने नाच नचाए, ओथे धुंम पई कड़-कुट्टी, भैणां मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी ।

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